सरस्वती विद्या मंदिर योजना : एक संक्षिप्त परिचय
श्रीपाल सिंह सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टर कालेज, चौखडिया- मैगलगंज (खीरी)
“विद्या भारती'' अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान से सम्बद्ध है, जिसके निर्देशन में
सम्पूर्ण देश में प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक के लगभग 30 हजार
विद्यालय संचालित है । संस्था के अपने आचार्य प्रशिक्षण केन्द्र शोध संस्थान,
महाविद्यालय, तकनीकि महाविद्यालय एवं खेलकूद महाविद्यालय आदि भी है।
सम्पूर्ण प्रदेश के सरस्वती शिशु मन्दिरों में अरूण से लेकर पंचम कक्षा तक अध्ययन
करने के बाद भैया-बहिनों को आणामी शिक्षा का अभाव सदैव अनुभव किया जाता था|
इस अभाव की पूर्ति हेतु भारतीय शिक्षा समिति उ0प्र0 लखनऊ की स्थापना हुई जिसके
निर्देशन में सरस्वती विद्या मन्दिर पद्धति के अनुसार कक्षा पाँच से आगे की शिक्षा की
व्यवस्था की गई है जिसमें उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद से मान्यता
प्राप्त विद्यालयों की योजना हुई। उत्तर प्रदेश में ऐसे अनेक विद्यालय वरिष्ठ माध्यमिक
स्तर पर सरस्वती विद्या मन्दिर के नाम से अपने अभिनव शिक्षण पद्धति के द्वारा संस्कार
व परीक्षा परिणाम में अग्रणी होने के काएण समाज द्वारा प्रशंसनीय है, और सफलता से
चल रहे है। जिनका समाज में प्रभाव परिलक्षित होता है। सर्वत्र इस अभिनव शिक्षण पद्धति
की प्रशंशा हुई है। प्रदेश में ऐसे विद्यालय सरस्वती विद्या मन्दिर के नाम से संचालित है।
शिक्षा
“हमें इस प्रकार की शिक्षा चाहिए जिससे चरित्र एवं मानसिक बल बढे बुद्धि का
विकास हो और जिससे मनुष्य अपने पैरों पए खड़ा हो सके। हमें आवश्यकता
इस बात की है कि विदेशी प्रभाव से स्वतंत्र होकर निजी ज्ञान भण्डार की
विभिन्न शाखाओं को और साथ ही विदेशी भाषाओं तथा पाश्चात्य का
अध्ययन करें। हमें यांत्रिक और ऐसी शिक्षाओं की आवश्यकता है जिससे उद्योग
धन्धों की वृद्धि और विकास हो। मनुष्य नौकरी के लिए मारा - मारा न फिरे
बल्कि अपनी आवश्यकताओं का संचन भी कर सके।
आचार्य
नियमित व्यायाम एवं प्राणायाम, अन्तः एव वाहय स्वच्छता ए॒व॑ पवित्रता
व्यवस्थिता, स्वाध्याय में रूचि, वाणी की मधुरता, नि:स्वार्थ भाव स्वदेश
व स्वभाषा के प्रति आत्मीयता, मातृभूमि के प्रति निष्ठा ही आचार्य की श्रेष्ठत्व
की कसौटी है।